नई दिल्लीः राहुल द्रविड़ को सही मायने में भारतीय क्रिकेट का जेंटलमैन क्यों कहा जाता है, इसका उन्होंने एक और ताजा उदाहरण पेश किया है। दरअसल, BCCI द्वारा T-20 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के लिए घोषित 125 करोड़ रुपये की राशि में से 5 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि का आधा हिस्सा छोड़ने का फैसला किया है। रोहित शर्मा की टीम द्वारा फाइनल में साउथ अफ्रीका को हराकर खिताब जीतने के बाद, बीसीसीआई ने घोषणा की कि थी कि टीम, कोचिंग स्टाफ और सहयोगी स्टाफ को नकद पुरस्कार के रूप में कुल 125 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। मुख्य कोच राहुल द्रविड़ को 5 करोड़ रुपये मिले थे। जबकि टीम के अन्य कोचों को 2.5 करोड़ रुपये दिए जाने थे।
ऐसे में राहुल ने फैसला किया है कि वह भी अन्य कोचों की ही तरह 2.5 करोड़ लेंगे। यानी द्रविड़ ने अपने सहयोगी स्टाफ के बराबर बोनस लेने का फैसला किया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीसीसीआई सूत्र ने बताया कि जितना राशि बाकी कोचों को मिली है उतना ही बोनस राहुल द्रविड़ भी लेना चाहते थे। बीसीसीआई उनके फैसले का सम्मान करती है। गौर करने वाली बात यह है कि द्रविड़ ने 2018 में भारत की अंडर-19 वर्ल्ड कप विजेता टीम के मुख्य कोच के रूप में भी ऐसा ही रुख अपनाया था। उस समय द्रविड़ को 50 लाख रुपये मिलने थे, जबकि सहयोगी स्टाफ के अन्य सदस्यों को 20-20 लाख रुपये मिलने वाले थे।
ऐसे में द्रविड़ ने इस तरह के विभाजन से इनकार कर दिया, जिससे बीसीसीआई को वितरण प्रतिशत बदलने और सभी को समान रूप से पुरस्कृत करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बोर्ड ने इसके बाद नकद पुरस्कारों की संशोधित सूची जारी की, जिसमें द्रविड़ सहित सहयोगी स्टाफ के प्रत्येक सदस्य को 25 लाख रुपये दिए गए। द्रविड़ ने कई बार अपनी निस्वार्थ शैली के लिए प्रशंसा बटोरी है। अपने सक्रिय खेल के दिनों में एक बल्लेबाज के रूप में भी, उन्होंने टीम के हितों को सबसे पहले रखा. एक कोच के रूप में द्रविड़ ने अपने काम से फैन्स का दिल जीता है। बता दें कि टी-20 वर्ल्ड कप में राहुल द्रविड़ के साथ सहयोगी स्टाफ में गेंदबाजी कोच पारस महाम्ब्रे, फील्डिंग कोच टी दिलीप और बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर शामिल थे।
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