जंगल की आग बुझाते झुलसे, राजेश की जख्मों की ताब न सहते हुए, पीजीआई में मौत,कल होगा संस्कार

जंगल की आग बुझाते झुलसे, राजेश की जख्मों की ताब न सहते हुए, पीजीआई में मौत,कल होगा संस्कार जंगल की आग बुझाते झुलसे, राजेश की जख्मों की ताब न सहते हुए, पीजीआई में मौत,कल होगा संस्कार

ऊना/सुशील पंडित: जिला ऊना के उपमंडल बंगाणा की सैली फॉरेस्ट बीट में आग वुझाते हुए 90 प्रतिशत झुलसे राजेश कुमार शर्मा की बीती रात जख्मों की ताव न सहते हुए पीजीआई में मौत हो गई।

करीब 28 साल से वन विभाग में सेवाएं दे रहे राजेश कुमार काे भीषण आग की लपटों में झुलसने से पहले रत्ती भर भी अहसास नहीं था कि वह इसकी चपेट में आ जाएगा। सैली गांव के जंगल की आग की लपटों को शांत करने के लिए विना किसी सुरक्षा यंत्रों के आग बुझाने के उतरे वन गार्ड राजेश  ने काफी प्रयास किए। लेकिन आग की लपटों ने उसे अपने घेरे में ऐसा लिया कि वह बुरी तरह से झुलस गया। डयूटी के दौरान जिस तरह से राजेश कुमार शर्मा जिस तरह से झुलसकर पीजीआई चंडीगढ़ में पहुंच गया। उसके बाद वन विभाग के सिस्टम पर सवाल उठना भी स्वभाविक है।  फॉरेस्ट विभाग ने फाेरेस्ट गार्ड बने राजेश को विना किसी प्रशिक्षण दिए वगैर ही आग में काबू पाने के लिए कैसे भेज दिया। वन विभाग की ऐसी क्या मजबूरी रही होगी कि विना किसी ट्रेनिंग के एक वन गार्ड को जंगल की आग में झुलसने के लिए भेज दिया । इसका जबाव शायद वन विभाग के पास नहीं होगा। सवाल उठता है कि वन विभाग किस तरह से अपने कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण दिए वगैर जंगल की आग में झुलसने के लिए भेज देता है। जबकि वन कर्मी डयूटी के प्रति कर्तव्यनिष्टा के कारण अपनी बहुूूमूल्य जिंदगी को दाव पर लगा रहे हैं। उसका जीवंत परिणाम राजेश के झुलसने के बाद सामने नजर आता है।

जिला ऊना के गांव बदोली के राजेश कुमार पुत्र स्वर्गीय मेला राम की आयु करीब 50 साल है। बेशक उसे वन विभाग में सेवाएं देते हुए करीब 28 साल का लंबा समय हो गया है। लेकिन वन विभाग में नियमित होने के बाद ऊना कार्यालय में पिछले करीब 15 साल से डिस्पैचर के पद पर तैनात रहे। जनवरी 2022में रैंकिंग के हिसाब से फोरेस्ट गार्ड के पद के लिए चयनित हुए। उसके बाद विना किसी प्रशिक्षण के उसे पहले धुसाड़ा बाद में सैली बीट में नियुक्त किया गया। जबकि उस क्षेत्र में जंगल में आग लगने की घटनाएं अक्सर होती है। क्योंकि उस क्षेत्र में वन माफिया लंबे समय से सक्रिय है। वन विभाग की गिरफ्त में आने की बजह से ही वन माफिया की तरफ से सैली के जंगलों को आग लगने की घटनाएं प्रकाश में आती रही है। इस समय जिला में वन विभाग के पास 87 वन गार्ड है। जिनमें करीब 65 की ट्रेनिंग हो चुकी है।

क्या होते हैं वन विभाग के नियम:
वन विभाग में पुरुष फॉरेस्ट गार्ड बनने के बाद उसकी ट्रेनिंग की बात की जाए तो पहले उसे करीब 6 माह तक ट्रेंनिग दी जाती है। ताकि किसी भी परिस्थिति में वन में आग लगने पर उसे किस तरह से काबू करना है , और अपना बचाव कैसे करना है। ट्रेनिंग के बाद ही किसी वन गार्ड को ऐसी जगह पर डयूटी पर लगाने का प्रावधान होता है।

हालांकि फॉरेस्ट गार्ड का काम वन संपदा को बचाने का होता है, ताकि जंगलों में पेड-पौधों व जीव-जंतुओं को सुरक्षा प्रदान की जा सके। यह एक तरह से उसी तरह का कार्य पूरी चुनौती पूर्ण होता है, जैसे सेना के जवान का कार्य देश को सुरक्षा प्रदान करना होता है।

वन विभाग में फाेरेस्ट गार्ड बनने के बाद उनकी ट्रेनिंग करवाई जाती है। इसके लिए निर्धारित समय सीमा के दौरान ही वन गार्ड को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। क्योंकि इसमें सभी वन गार्ड को इकटठे ट्रेनिंग के लिए नहीं भेजा जा सकता है। जबकि राजेश कुमार शर्मा की अभी ट्रेनिंग होनी थी।
चार भाइयों और तीन बहनों में सबसे छोटे राजेश कुमार शर्मा अपने पीछे पत्नी एक बेटा और एक बेटी छोड़ गए हैं। पीजीआई से राजेश का शव  पोस्टमार्टम होने के उपरांत आज उनके पैतृक गांव बदोली पहुंचने के वाद कल संस्कार किया जाएगा।

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