चंडीगढ़ः गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के पुलिस हिरासत में हुए इंटरव्यू को लेकर गठित एसआईटी ने बड़ा खुलासा किया है। एसआईटी के अनुसार गैंगस्टर का पहला इंटरव्यू पंजाब की हद (सीमा) में हुआ था। इंटरव्यू के लिए सिग्नल एप का इस्तेमाल किया गया था और इसे जल्द ही जब्त किया जाएगा। हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच स्पेशल डीजीपी ह्यूमन राइट्स प्रबोध कुमार की अध्यक्षता वाली एसआईटी को सौंपी थी। एसआईटी की ओर से बुधवार को हाईकोर्ट में बताया गया कि अभी तक की जांच में यह सामने आया है कि सिग्नल एप के जरिए यह इंटरव्यू पंजाब की हदों के भीतर किया गया था।
अभी जांच जारी है और कुछ अहम गवाहों से पूछताछ की जानी है। ऐसे में इसके लिए हाईकोर्ट से मोहलत मांगी गई है। हाईकोर्ट में एसआईटी ने जांच की अंतरिम सीलबंद रिपोर्ट सौंपी गई थी। इस रिपोर्ट को देखने के बाद हाईकोर्ट ने दोबारा सील बंद कर इसे वापस कर दिया। संगरूर की जेल में पॉक्सो एक्ट में विचाराधीन कैदी की ओर से पीड़िता को मोबाइल से जेल का वीडियो भेजने की अदालत को जानकारी दी गई थी। सिंगल बेंच के समक्ष कैदी की नियमित जमानत याचिका विचाराधीन थी।
जेल में कैदियों के मोबाइल इस्तेमाल को बेहद गंभीर मामला बताते हुए सिंगल बेंच ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई के लिए भेजा था। इस मामले में जस्टिस अनुपेंद्र ग्रेवाल की खंडपीठ ने सुनवाई आरंभ की तो इस दौरान लॉरेंस बिश्नोई के जेल से हुए इंटरव्यू का मुद्दा उठा और हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से जवाब तलब कर लिया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए स्पेशल डीजीपी ह्यूमन राइट्स प्रबोध कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी। एसआईटी ने दो एफआईआर दर्ज कर इस मामले की जांच आरंभ की थी।
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