नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में विदेश में भारतीय छात्र पढ़ाई करने गए 633 की मौत हो चुकी है। इन छात्रों की मृत्यु के विभिन्न कारण रहे हैं, जिनमें जातिगत भेदभाव और हमले भी शामिल हैं। यह जानकारी केन्द्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ती वर्धन सिंह ने शुक्रवार को लोकसभा के पटल पर प्रस्तुत की।
मुख्य आंकड़े
- कनाडा: 172 भारतीय छात्रों की मौत
- अमेरिका: 108 भारतीय छात्रों की मौत
- यूके: 58 भारतीय छात्रों की मौत
- ऑस्ट्रेलिया: 57 भारतीय छात्रों की मौत
- रूस: 37 भारतीय छात्रों की मौत
- यूक्रेन: 18 भारतीय छात्रों की मौत
- जर्मनी: 24 भारतीय छात्रों की मौत
- जार्जिया, किर्गिस्तान और साइप्रस: 12 भारतीय छात्रों की मौत
हमलों में छात्रों की मृत्यु
कनाडा में हमलों के कारण 9 भारतीय छात्रों की मौत हुई, जबकि अमेरिका में 6 भारतीय छात्रों की हमलों में मृत्यु हुई।
छात्रों की वापसी
पिछले तीन वर्षों में 48 छात्रों को अमेरिका से डिपोर्ट करके भारत भेजा गया है। अमेरिकी एजेंसियों ने इन छात्रों के बारे में कोई आधिकारिक डेटा शेयर नहीं किया है।
विदेश मंत्रालय का यह डेटा भारतीय छात्रों की विदेश में सुरक्षा और उनके साथ हो रही घटनाओं के प्रति चिंता को दर्शाता है। मंत्रालय के अनुसार, उनका मुख्य उद्देश्य भारतीय छात्रों को विदेश में सुरक्षित रखना है, और इसके लिए वे पूरी कोशिश कर रहे हैं।
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