पूरी दुनिया में अब तक इस बीमारी के 100 से भी कम मामले आए सामने
अमृतसरः गुरु नानक देव अस्पताल अमृतसर के हृदय रोग विभाग ने एक 13 वर्षीय लड़की की अत्यंत दुर्लभ मानी जाने वाली हृदय रोग की सफल सर्जरी कर अमृतसर का नाम न केवल पंजाब या भारत बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध किया है। यह इतिहास रचने वाले हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. परमिंदर सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अमृतसर में जब 13 वर्षीय सिमरजीत कौर को उसके माता-पिता इलाज के लिए अस्पताल लेकर आए तो इकोकार्डियोग्राफी करने के बाद पता चला कि उसके दिल में छेद है। हृदय संबंधी सीटी स्कैन कराने पर पुष्टि हुई कि उक्त बच्ची जन्मजात दाहिनी फुफ्फुसीय धमनी से लेकर बायीं एट्रियम फिशुला बीमारी से पीड़ित है।
जिसके कारण उनकी फुफ्फुसीय धमनी से एक नस निकलकर हृदय के बाईं ओर चली गई, जिसके कारण उनके हृदय का गंदा रक्त ऑक्सीजन युक्त अच्छे रक्त के साथ मिल रहा था। शरीर के अंगों में ऑक्सीजन की कमी के कारण जहां उनका शारीरिक विकास नहीं हो रहा था, वहीं उनके पूरे शरीर का रंग भी नीला पड़ गया था। उन्होंने कहा कि ऐसे मरीज जीवन के चौथे दशक तक पहुंचने से पहले ही मर जाते हैं। डॉ. परमिंदर सिंह ने कहा कि 1950 में एलएन फ्रेडरिक नामक अमेरिकी वैज्ञानिक ने इस बीमारी के बारे में जानकारी सार्वजनिक की थी और तब से पूरी दुनिया में इस घातक बीमारी के 100 से भी कम मामले दर्ज किए गए हैं।
डॉ. परमिंदर सिंह ने कहा कि इस बीमारी के इलाज के लिए बड़ी बाईपास सर्जरी की आवश्यकता होती है, लेकिन उन्होंने अपने सहयोगी डॉक्टरों की टीम की मदद से नई तकनीक का उपयोग करके बिना कोई चीरा या टांके लगाकर कैथेटर के माध्यम से एंजियोग्राफी करके पीडीए डिवाइस लगाकर दिल का छेद बंद कर दिया गया। उन्होंने बताया कि सर्जरी के दौरान सिमरजीत कौर का ऑक्सीजन लेवल 70 फीसदी से बढ़कर 100 फीसदी हो गया और उनका रंग भी नीले से गुलाबी हो गया। उन्होंने कहा कि आयुष्मान कार्ड की बदौलत उक्त लड़की के वारिसों को इलाज का कोई खर्च नहीं हुआ है और उसे 14 जुलाई यानी कल को डिस्चार्ज कर घर भेज दिया जाएगा।
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