गुरु न होते तो मानव जाति अंधकार में ही रहती- आचार्य हेमानंद
ऊना/ सुशील पंडित : डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम नारी में चल रहे गुरु पूर्णिमा महोत्सव का रविवार को समापन होगा। 16 जुलाई से शुरू यह धर्मोत्सव प्रति वर्ष डेरे में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। शनिवार को भी हजारों भक्तों ने पवित्र धूने पर माथा टेकने के बाद डेरे के महंत वेदांताचार्य सुग्रीवानंद महाराज का आशीर्वाद लिया। इस मौके पर गुरुजी के परम शिष्ट आचार्य श्री हेमानंद जी महाराज भी उपस्थित रहे। उन्होंने भी भक्तों को धर्म पालना और गुरु शिष्ट परंपरा से जुड़े प्रवचन दिए। उन्होंने बताया कि गुरु पूर्णिमा पूरे भारत वर्ष में मनाई जाती है। इससे जुड़ी कई कथाएं हमारे शास्त्रों में लिखी हुई हैं। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा को महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म दिवस माना जाता है।
उनके सम्मान में इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा गया है। शास्त्रों में यह भी कहा जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने चारों वेद की रचना की थी और इसी कारण से उनका नाम वेद व्यास पड़ा। आचार्य हेमानंद महाराज ने बताया कि गुरु न होते तो आज भी मानव जाति जंगलों में आदिमानव की तरह जीवन यापन कर रही होती। गुरुओं के आशीर्वाद, तप और ग्यान से ही आज मानव इतनी तरक्की कर पाया है। यदि गुरु न होते तो धर्म की जानकारी कभी भी मानव जाति तक पहुंच नहीं सकती थी। इसलिए गुरु को ईश्वर का स्थान भी दिया गया है। ईश्वर और मानव के बीच वही एक कड़ी है जिससे समस्त जन भवसागर के पार लगते हैं और ब्रह्म को समझ पाते हैं। रविवार को गुरु पूर्णिमा महोत्सव का समापन समारोह भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा और उस दिन भी हजारों की गिनती में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
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